इंस्पेक्टर शाला की वीरगति का पता उनके परिवार को कैसे चला और कैसे उनके PSO अहमदुल्लाह ने उनको धोखा दिया? शाला परिवार को कभी भी ये ना पता चलता...
इंस्पेक्टर शाला की वीरगति का पता उनके परिवार को कैसे चला और कैसे उनके PSO अहमदुल्लाह ने उनको धोखा दिया?
शाला परिवार को कभी भी ये ना पता चलता की उनके पिता कैसे वीरता से लड़ते हुए शहीद हुए,अगर उन्हीं के मोहल्ले के कुछ लोग उस बस में ना बैठे होते, जिससे इंस्पेक्टर शाला वापस घर आ रहे थे।इंस्पेक्टर शाला उस समय जम्मू कश्मीर पुलिस के CID विभाग में इंस्पेक्टर थे और कुपवाड़ा में अपनी पोस्टिंग के दौरान उन्होंने हिजबुल मुजाहिद्दीन के कई आतंकवादियों से पूछताछ की थी, जिसके बाद इंस्पेक्टर शाला को हिजबुल मुजाहिद्दीन की तरफ से उनको और उनके परिवार को जान से मारने परिवार धमकियां और लेटर मिलते रहते थे जिसकी इंस्पेक्टर शाला ने कभी कोई परवाह नहीं की और वह निर्भीक और निडर होकर अपना कर्तव्य करते रहे.
परिवार को जम्मू छोड़ने जाने के लिए जब वो कुपवाड़ा में छुट्टी अप्लाई करने गए और साथ ही अपना सर्विस रिवाल्वर वहां जमा करके वो अपने PSO मोहम्मद अहमदुल्लाह के साथ वापस बारामुला कि बस मैं बैठे ही थे कि तभी उनके PSO अहमदुल्लाह ने उनसे सिगरेट पीने की इजाजत लेकर बस से बाहर एक कसाई की दुकान की तरफ जाने लगा और जब वो कसाई की दुकान के पास पहुंचा तो उसने वहां खड़े कुछ लोगों से बात की जो कि फेरन पहने हुए थे और PSO ने फेरन पर ऊपर से हाथ लगा कर ये पक्का किया की उन लोगों के पास हथियार हैं कि नहीं, फिर वो वापस आकर बस में बैठ गया।
शाला साहब के साथ उस दिन बस में उनके मोहल्ले में रहने वाले काफी लोग बैठे हुए थे | जैसे ही बस कुपवाड़ा से बारामुला के लिए चली तो कुछ ही देर बाद एक ओमनी वेन उसको ओवरटेक करती है और जबरन बस रुकवा कर, कुछ हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बस के ड्राइवर की कनपटी पर रिवाल्वर रखकर गाड़ी रोक लेते हैं और 4-5 आतंकवादी बस में AK-47 लेकर तेजी से घुसते हैं और चिल्लाकर पूछने लगते हैं कि इसमें से इंस्पेक्टर शाला कौन है? लेकिन कोई भी बस में बैठा आदमी नहीं बताता है और जैसे ही आतंकवादी नीचे उतरने लगते हैं तभी PSO अहमदुल्लाह खड़ा होता है और वो इंस्पेक्टर शाला की तरफ उंगली करके बोलता है कि ये है इंस्पेक्टर शाला! ,ये है इंस्पेक्टर शाला!!
इंस्पेक्टर शाला को हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों ने जबरन बस से निकाला और वहां से थोड़ी दूर काशीपुरा जगह पर ले जाकर टॉर्चर करने लगे और जब ये सारे आतंकवादी मिलकर उनको मारने लगे तब भी उन्होंने हार नहीं मानी ।
टॉर्चर के दौरान हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने उनके दांत निकाल लिए थे ,नाखून उखाड़ दिए थे तब भी इंस्पेक्टर शाला ने हार नहीं मानी और जब ये सब हो रहा था और एक निहत्था जम्मू कश्मीर पुलिस का देशभक्त इंस्पेक्टर इन आतंकवादियों से अकेला लड़ रहा था तो वहां काशीपुरा के लोग खड़े होकर बेशर्मी से तमाशा देख रहे थे और उनमें से किसी का भी जमीर नहीं जागा और ये लोग खड़े होकर चिल्ला रहे थे कि देखो काफिर को कैसे फांसी दी जा रही है!
जब हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादि इंस्पेक्टर शाला को जबरन फांसी देने में नाकामयाब हो गए तो उनमें से एक आतंकवादी ने झल्लाकर बोला कि "इसको गोली मार दो"! फिर उनको पॉइंट ब्लंक रेंज से माथे में गोली मार दी जाती है और आतंकवादी उनके शरीर को वहीं छोड़कर भाग जाते हैं।
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