आज है भारत के इतिहास का सबसे काला दिन! आज ही के दिन 15 जून 1947 को कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम लीग द्वारा प्रायोजित दंगों(D...
आज है भारत के इतिहास का सबसे काला दिन!
आज ही के दिन 15 जून 1947 को कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम लीग द्वारा प्रायोजित दंगों(Direct Action Day) और कोलकाता नरसंहार(Great Calcutta Killings) के दबाव के चलते पाकिस्तान की मांग को नई दिल्ली में हुए अधिवेशन में स्वीकार कर लिया था.
आज ही के दिन 15 जून 1947 को कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम लीग द्वारा प्रायोजित दंगों(Direct Action Day) और कोलकाता नरसंहार(Great Calcutta Killings) के दबाव के चलते पाकिस्तान की मांग को नई दिल्ली में हुए अधिवेशन में स्वीकार कर लिया था.
दूसरे विश्व युद्ध के बाद,जब ऐसा लगा की आजादी बहुत नजदीक है तब भारत में रहने वाले मुसलमानों के एक समूह जो कि मुगल सिंड्रोम(Mughal syndrome) से पीड़ित था.उन लोगों ने मोहम्मद अली जिन्ना की लीडरशिप में पाकिस्तान मूवमेंट चलाना शुरु कर दिया और ये कहा कि मुस्लिम कभी भी हिंदुओं के साथ कोएक्जिस्ट नहीं कर सकते और साथ ही इसके सपोर्ट में टू नेशन थिअरी(Two Nation Theory)का हवाला दिया.
उस समय पाकिस्तान की मांग करने वाले मुस्लिम ग्रुप को लगता था कि जैसे मुगलों के बाद ब्रिटिश ने भारत पर राज किया था और अब जब ब्रिटिश भारत छोड़कर जा रहे हैं तो वही राज हमें मिलना चाहिए.
लेकिन जब मुस्लिम लीग को लगा की पाकिस्तान मूवमेंट को भारत की मेजोरिटी ने नकार दिया है तो उन्होंने प्रायोजित दंगे मतलब पहले से तय किए हुए दंगे, जिसको मुस्लिम लीग डायरेक्ट एक्शन डे (Direct Action Day) का का नाम देकर करना शुरू किया दिया.
यह सभी दंगे मोहम्मद अली जिन्ना के भड़काने पर मुस्लिम लीग के कार्यकर्ता/दंगाई करते थे और इन दंगों को डायरेक्ट एक्शन डे(Direct Action Day) का नाम दिया गया था.उसी में सबसे बड़ा दंगा कोलकाता नरसंहार( Great Calcutta Killings) के नाम से जाना जाता है. इन सभी दंगों के दबाव में आकर,कांग्रेस पार्टी ने 15 जून 1947 को अपने नई दिल्ली अधिवेशन में पाकिस्तान की मांग को मान लिया था.
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया था.हमें आजादी की खुशी में, बंटवारे का दर्द नहीं भूलना चाहिए. मोहम्मद अली जिन्ना की लीडरशिप में होने वाले दंगों को रोकने के लिए जब कांग्रेस पार्टी ने यह फैसला लिया तो इस फैसले के कारण करीब-करीब 20 लाख लोगों को बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया,दो लाख से ज्यादा लड़कियों और औरतों का बलात्कार हुआ और करीब पौने दो करोड़ लोगों को अचानक अपना घर परिवार छोड़कर जाना पड़ा.
एक छोटी सी कहानी से आप आसानी से समझ सकते हैं की बटवारा कितना भयानक था, इसको आप एक ही सिख परिवार जो कि पाकिस्तानी कब्जे वाले पश्चिमी पंजाब में रहता था, की कहानी से समझ सकते हैं.
बंटवारे के वक्त अमरीक सिंह और दलवीर सिंह बच्चे थे और इनका घर अभी के पाकिस्तानी कब्जे वाले पश्चिमी पंजाब में था और बंटवारे के बाद पश्चिमी पंजाब पाकिस्तानी हिस्से में चला गया और ये दोनों सिख भाई हमेशा-हमेशा के लिए अलग हो गए.उस समय अमरीक सिंह की उम्र 6 साल और दलबीर सिंह की उम्र 10 साल थी.ये दोनों सीख भाई बंटवारे के 72 साल के बाद एक दूसरे से मिल सके.
इन सभी बातों से कोई भी भारतवासी आसानी से अंदाजा लगा सकता है की आज भारत के इतिहास का सबसे काला दिन क्यों है? और 15 अगस्त 1947 को भारत खंडित होने से लेकर आज तक पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं को जिस तरीके से प्रताड़ित किया जाता है,जैसे उनकी बेटियों को जबरन घरों से से उठवा कर धर्म परिवर्तन कराया जाता है,जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है और जबरदस्ती निकाह करा कर, उस लड़की को हमेशा-हमेशा के लिए उसके परिवार से अलग कर दिया जाता है.इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं की बंटवारे के दौरान क्या-क्या हुआ होगा.
खंडित भारत को अखंड बनाने के लिए हम लोग कम से कम पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं,बलोच और इसाईयों की आवाज़ उठा सकते हैं.जब कभी पाकिस्तान में हिंदुओं, बलोच और ईसाईयों के खिलाफ कोई घटना घटे तो आप लोग ज्यादा से ज्यादा उस घटना को सोशल मीडिया पर शेयर करें और साथ ही जब कभी भी आप किसी पोस्ट में लाहौर,कराची या ननकाना साहिब को मेंशन करें तो आप उस शहर के नाम के साथ ब्रैकेट में भारत जरूर लिखें, जैसे कि लाहौर(भारत),कराची(भारत) या ननकाना साहिब(भारत) क्योंकि सनातन काल से ही ये हमारे शहर रहें है.
जय हिंद!
(अविचल पांडेय-स्तंभकार पिछले कई वर्षों से बंटवारे पर शोध कर रहे हैं).
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