मानसिक बीमारी से अपंग एक गणित प्रतिभा - वशिष्ठ नारायण सिंह 1960 के दशक की शुरुआत में कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के गणितज्ञ विभाग के ...
मानसिक बीमारी से अपंग एक गणित प्रतिभा - वशिष्ठ नारायण सिंह
1960 के दशक की शुरुआत में कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के गणितज्ञ विभाग के प्रमुख जॉन एल केलि बिहार में स्थित पटना साइंस कॉलेज का दौरा कर रहे थे।जब वह प्रिंसिपल के कमरे में बैठकर चाय पी रहे थे तभी एक प्रोफेसर ने प्रिंसिपल से आकर शिकायत की कि बीएससी प्रथम वर्ष का एक छात्र पढ़ाते हुए बहुत ज्यादा सवाल पूछता है और परेशान करने की कोशिश करता है । जॉन एल केलि जो कि यह सब सुन रहे थे जिज्ञासा बस उनका मन उससे मिलने को हुआ,उस छात्र की गलती यह थी कि वह बहुत ही प्रश्न पूछता था ।जब जान एल केलि ,वशिष्ठ नारायण, से मिले तो उन्होंने पटना साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल को इस छात्र को कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने का ऑफर दिया।
14 नवंबर 2019 को वशिष्ठ नारायण सिंह की 73 साल की उम्र में शिजोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी के चलते उनकी मृत्यु हो गई।
1960 के दशक की शुरुआत में कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के गणितज्ञ विभाग के प्रमुख जॉन एल केलि बिहार में स्थित पटना साइंस कॉलेज का दौरा कर रहे थे।जब वह प्रिंसिपल के कमरे में बैठकर चाय पी रहे थे तभी एक प्रोफेसर ने प्रिंसिपल से आकर शिकायत की कि बीएससी प्रथम वर्ष का एक छात्र पढ़ाते हुए बहुत ज्यादा सवाल पूछता है और परेशान करने की कोशिश करता है । जॉन एल केलि जो कि यह सब सुन रहे थे जिज्ञासा बस उनका मन उससे मिलने को हुआ,उस छात्र की गलती यह थी कि वह बहुत ही प्रश्न पूछता था ।जब जान एल केलि ,वशिष्ठ नारायण, से मिले तो उन्होंने पटना साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल को इस छात्र को कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने का ऑफर दिया।
इस छात्र का नाम वशिष्ठ नारायण सिंह था जो कि बाद में जाकर एक बहुत ही विख्यात गणितज्ञ के रूप में जाने गए और जिनके जीवन का अंत मानसिक बीमारी के कारण बहुत ही दुखद एवं गुमनामी हुआ।
वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म बिहार के आरा जिले के बसंतपुर गांव के एक मामूली परिवार में हुआ था। बचपन से ही इनको गणित विषय में रुचि थी और इसी रुचि और प्रतिभा के कारण वह अपने स्कूल के शिक्षकों को अपने गणित के ज्ञान से आश्चर्यचकित कर दिया करते थे ।स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के बाद वशिष्ठ नारायण सिंह ने बिहार के पटना साइंस कॉलेज में बीएससी में एडमिशन लिया जहां पर सिंह ने अपने गणित के ज्ञान एवं क्षमता का लोहा कॉलेज के प्रोफेसर प्रोफेसरों से मनवा लिया था और इसी प्रतिभा को देखते हुए विश्वविद्यालय पटना साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल ने वशिष्ठ नारायण सिंह को बीएससी अंतिम वर्ष की परीक्षा देने की अनुमति दी ।जबकि उस समय वह बीएससी प्रथम वर्ष के ही छात्र थे। परीक्षा देने के बाद वशिष्ठ नारायण सिंह ने बीएससी अंतिम वर्ष की परीक्षा में टॉप किया था। इसके पश्चात वह एमएससी और पीएचडी के लिए अमेरिका के प्रसिद्ध कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालयविश्वविद्यालय चले गए ।जहां से उन्होंने एमएससी और पीएचडी की डिग्री ली, बाद में सिंह ने लगभग 3 वर्षों तक नासा में भी काम किया उन्होंने मुख्यतः कंप्यूटर ग्राफिक्स एवं क्वांटम मैकेनिक्स के क्षेत्रों में अपने शोध की है अपने शोध किए।
नासा में 3 साल तक काम करने के पश्चात के बाद डॉक्टर सिंह ने भारत लौटने का फैसला किया और शुरू में आईआईटी कानपुर,टी आई एफ आर मुंबई और आई एसआई कोलकाता में शोधकर्ताओं एवं प्राध्यापक के रूप में काम किया। यहीं से इनको अपनी मानसिक बीमारी का पता चलना शुरू हुआ और 1976 में जब वह 35 वर्ष के भी नहीं थे ,उन्हें शिजोफ्रेनिया नामक बीमारी हो गई थी।
इनका जीवन और शिजोफ्रेनिया नामक बीमारी, अमेरिका के मशहूर गणितज्ञ जॉन नैश के जीवन से मिलती-जुलती है । जॉन नैश एक विख्यात अमेरिकी गणितज्ञ थे। जिनको शिजोफ्रेनिया नामक बीमारी हो गई थी। जिन्होंने "गेम थ्योरी" पर अपने काम के लिए नोबेल प्राइज जीता था। जॉन नैश के जीवन पर ही एक हॉलीवुड मूवी "द ब्यूटीफुल माइंड" बनी थी। जिसने उस वर्ष ऑस्कर अवार्ड जीता था।
14 नवंबर 2019 को वशिष्ठ नारायण सिंह की 73 साल की उम्र में शिजोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी के चलते उनकी मृत्यु हो गई।
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