कैसे जर्मनी से आई एक अमीर लड़की ने हिंदू धर्म अपनाया और वो बन गई सरस्वती माई! जहां हम Hindu अपने Santan Culture को त्याग ...
कैसे जर्मनी से आई एक अमीर लड़की ने हिंदू धर्म अपनाया और वो बन गई सरस्वती माई!
जहां हम
Hindu अपने
Santan Culture को
त्याग
कर
Western Culture अपनाते
जा
रहे
हैं।
वहीं
हमारे
धर्मगुरुओं
की
कृपा
से
लाखों
विदेशी
अपना
घर,धर्म
व
देश
छोडकर
Hindu Dharma के
अनुसार,
विभिन्न
गुरुओं
से
दीक्षित
होकर India में
ही
रहकर
आत्मकल्याण
कर
रहे
हैं।
आप
जो
ये
Photo में महिला देख
रहे
हैं।
ये
Uttarakhand के
कालीशिला
धाम
में
रहने
वाली
Germany
मूल
की
Saraswati Maa की
है।
औद्योगिक क्रान्ति
वाले
विकसित
देश
Germany की
मूल
निवासिनी
ने
अपना
सन्यासी
नाम
Saraswati Maa
रखा
है।
Saraswati Maa कम
से
कम
तीस
सालों
से
Rudraprayag
जिले
की
ऊखीमठ
तहसील
के
अन्तर्गत
कालीमठ
से
6 km पैदल खडी
चढाई
चढने
के
बाद
पर्वत
चोटी
पर
स्थित
कालीशिला
नामक
शक्ति
पीठ
में
रोजाना
साधना
करती
हैं।
बताते हैं
कि
Saraswati Maa, Germany के
सम्पन्न
घर
में
पैदा
हुईं
थीं
लेकिन
अब
इनको
सन्यास
के
चलते
सांसारिक
वस्तुओं
से
कोई
लेना
देना
नहीं
है।
ये
एक
साधारण
सी
झोपडी
में
रहती
हैं।
Saraswati Maa अपने
खाने
के
लिए
साग
सब्जियां
खुद
उगाती
हैं।
ये
Ghadwali
और
Hindi भाषा
को आसानी से समझती
और
बोलती
हैं।
Saraswati Maa सन
2000 की
नन्दा
राज
यात्रा
भी
कर
चुकी
ह़ैं।
देवभूमि
के
कालीमठ
क्षेत्र
में
Saraswati Maa के
प्रति
लोगों
की
अपार
श्रद्धा
है।
इसी
कालीशिला
धाम
में
Germany की
Sarasmati Maa साधना
करती
हैं।
कहा
जाता
है
कि
एक
बार
Sarasmati Maa जब
Germany में
थी,
तो
उन्हें
कालीशिला
का
सपना
आया
था।
इस
सपना
में
क्या
हुआ
ये
भी
जानिए।
सपने में
खुद
उन्हें
रास्ता
भी
बताया
गया
था
कि
यहां
उन्हें
इस
सांसारिक
जीवन
से
मुक्ति
मिलेगी।
इसके
बाद
ही
वो
Germany
से
यहां
आई।
Saraswati Maa कहती
हैं
कि
उन्हें
इस
जगह
पर
असीम
शांति
मिलती
है।
फिलहाल Germany को वो
भूल
चुकी
हैं
और
Uttarakhand को
ही
अपना घर मान लिया है।
ऐसी महान
तपस्विनी
को
हमारा
हृदय
से
नमन
है।
अब
आप
ये
भी
जानिए
कि
आखिर
कालीशिला
देवभूमि
की
कैसी
अद्भुत
जगह
है।ऐसा विश्वास है कि
मां
दुर्गा
शुंभ-निशुंभ
और
रक्तबीज
का
संहार
करने
के
लिए
कालीशिला
में
12 वर्ष
की
कन्या
के
रूप
में
प्रकट
हुई
थीं।
कालीशिला में
देवी-देवताओं
के
64 यंत्र
हैं।मान्यता
है
कि
इस
स्थान
पर
शुंभ-निशुंभ
दैत्यों
से
परेशान
देवी-देवताओं
ने
मां
भगवती
की
तपस्या
की
थी।
तब
मां
प्रकट
हुई।
मां
ने
युद्ध
में
दोनों
दैत्यों
का
संहार
कर
दिया।
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